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31 May 2022 · 1 min read

कूटकर चले गए - डी के निवातिया

कूटकर चले गए
!
आये थे माली बनकर, चमन लूटकर चले गए,
देख उन के घड़याली आंसू हम भूलकर चले गए,
जिन पे किया दिल ने भरोसा वो जख्म ऐसा दे गए,
पीठ थप-थपाने के बहाने, वो कूटकर चले गए,
!
डी के निवातिया

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