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19 May 2022 · 2 min read

रोजमर्रा की वस्तुओं के बढ़ते दाम की रोचक पैरोडी!

नींबू:-
बढ़ती गर्मी में,
लौट के जब आते घर,
थकान को करने को दूर,
पानी में एक नींबू निचोड़,
गट गट कर पी जाते थे,
हट जाती थी,
वह थकान,
जो अब तक किए जाती थी,
परेशान!
ये रही एक आम आदमी की कहानी।

इस साल जब नींबू के दामों ने भरी उड़ान,
बिल बिला के रह गये हम,
हो रहे थे हैरान,
ओह,
तो क्या अब गर्मी के साथ साथ,
नींबू भी बे काबू हुआ जा रहा,
पहले निचोड़ रहे थे जिसे हम,
अब वही हमें निचोड़े जा रहा!
नींबू ने उलाहना देकर कहा,
मैंने एक बार क्या निचोड़ा,
तुम तो बिल बिलाए जा रहे हो,
आज तक निचोडते रहे मुझे,
कभी मुझ पर भी रहम दिखा पाए हो।

टमाटर:-
स्वाद पसंद जीभ को,
टमाटर बहुत पसंद आया,
कभी सलाद बना कर खाया,
तो कभी पकवान में मिलाया,
साग सब्जी में,दाल वाल में,
और आ गई जब मीट घर पर,
तो मसाले तक में मिलाकर,
लजीज व्यंजन, हमने बनाया,
अब जब बढ गये हैं दाम इसके,
आम मानुष के जब रहा न बस के,
जीभ का स्वाद जाता रहा है,
टमाटर पर तैस बहुत आ रहा है।

प्याज:-
लजीज भोजन के लिए,
लपलपाती जीभ ने,
खाना खाने के बाद,
मुंह चिढ़ा कर कहा,
खाने में वो मज़ा नहीं आया,
तड़के में प्याज न था,
बस पेट ही भरा गया,
खाने में कोई स्वाद न था!
प्याज ने अपनी परत खोल कर कहा,
अब तक मुझे बेरहमी से काटा करते रहे,
मैंने कितने ही आंसू बहाए,
पर तुम क्या कभी तरस खाए,
हां कभी मुझे काटते हुए,
आंसू तुम्हारे भी आए,
पर तुम तब भी ना रुक पाए,
अब जब मैंने अपनी अहमियत जताई,
तो तुमने अपनी बेबसी दिखाई,
मुझे टटोल टटोल कर तुमने है परखा,
बाहर की परत को,कुरेद कुरेद कर रखा,
अब मैं अपनी परत दर परत का मुल्य चाहता हूं,
आंखों से यूं आंसू न बहाओ,
जाओ, मेरे बिना भी खाना- खाना सीख कर दिखाओ।

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