*11 लॉकडाउन-दोहे*
11 लॉकडाउन-दोहे
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(1)
रुपए गिनना थूक से ,जिनका अब तक काम
छोड़ें आदत यह. बुरी ,वरना काम तमाम
(2)
धन्य लॉकडाउन हुआ ,बचे हुए हैं आज
खड़ा झपट्टा. मारने ,दरवाजे था बाज
(3)
ढका हुआ मुख मास्क से ,जनता की पहचान
सरहद पर जैसे चला ,लड़ने वीर जवान
(4)
विपदा थोड़ी देर की ,आँधी या तूफान
घर के भीतर जो रूके ,उनका कब नुकसान
(5)
साफ हवा ने लो दिए ,झंडे अपने गाड़
छिपे हुए थे आज तक ,दिखने लगे पहाड़
(6)
दिन भर मोबाइल चले ,सोते जगते वक्त
खेलें इससे कम जरा ,पी जाएगा रक्त
(7)
हुए ऑनलाइन सभी ,दर्शन दुर्लभ आज
जाने फिर अब कब मिलें , बैठे पास समाज
(8)
निजी क्षेत्र चौपट हुआ ,क्या मालिक मजदूर
सुख की आशा दिख रही ,अब भी कोसों दूर
(9)
पहने – पहने कीजिए ,बातें और प्रणाम
मास्क जरा नीचे किया ,समझो काम तमाम
(10)
अफसर से उलझें नहीं ,इनकी मोटी मार
जीते तो हो जाएगी , समझो दुगनी हार
(11)
बीमारी की इस तरह ,मध्यम जन पर मार
बेकारों में लो हुई ,चालू आज शुमार
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451