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17 Apr 2022 · 1 min read

#जंगली फर (चार)....

# जंगली फर ….

लो आया मैं लेकर ,
साथी तेरे लिए ,
थोड़ा थोड़ा सा ,
जंगल का प्यार …!

गदराई , रसभरी
अपनी जवानी ,
लुटाने आई ये ,
गुच्छे गुच्छेदार …!

भरी तपिश में ,
राहत बनकर ,
बन के आई बहार
तेंदू , महुआ , चार …!

जंगल में वनवासी के ,
ये हैं उसके जीवन बीज
देता रहे सदा अपने का ,
कई पुरखो से जीवन सींच…!

चिन्ता नेताम ” मन ”
डोंगरगांव (छत्तीसगढ़)

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