Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
30 Mar 2022 · 1 min read

परछाई

तुम दिल की धड़कन में,तुम ही श्वासों में,
तुम ही तुम हो मेरे दिन,और मेरी रातों में।
तुम ही मेरी अभिलाषा,तू जीने की आस,
परछाई बनकर सदा ,तुम रहना मेरे पास।

🌻🌻🌻🌻🌻
रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृह जिला- सुपौल (बिहार)
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०- 9534148597

Loading...