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4 Jul 2021 · 1 min read

जियान काहें कइलअ

जियान काहें कइलअ
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जियान काहें कइलअ जियान काहें कइलअ जियान काहें कइलअ
दे देतअ दान हो-
जियान काहें कइलअ

दे देतअ ढेर बा त पेट भरि जाइत
तू फेकि दिहलअ गरीब केहू खाइत
जियान काहें कइलअ जियान काहें कइलअ जियान काहें कइलअ
कहे कूड़ेदान हो-
जियान काहें कइलअ

कबो कबो खाला कबो रहि जा उपासे
लइका भिखारी एगो घरवा के पासे
जियान काहें कइलअ जियान काहें कइलअ जियान काहें कइलअ
डहके नादान हो-
जियान काहें कइलअ

सुनि ल ये भाई तू पिरितिया निभावअ
कवनों ग़रीब के ना हक हथिआवअ
जियान काहें कइलअ जियान काहें कइलअ जियान काहें कइलअ
हो के सग्यान हो-
जियान काहें कइलअ

– आकाश महेशपुरी

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