Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Mar 2022 · 1 min read

“नेताओं के झूठे वादें”

तुम चाहे जितने झूठे वादें कर लो,
हम रुख़ हवा की समझते हैं।
फिर भी अमूल्य वोट देकर अपना,
फ़र्ज़ अदाईं करते है।

चाहे तुम कुछ करो, ना करो,
देशहित में या जनहित में।
हम अपना कर्तव्य मानकर,
तुम्हें सांसद, विधायक बनाते है।

ख़ूब गुमराह करते हो जन को,
बहुरूपिया तक बन जाते हो।
हक खाकर भी जनसमूह की,
तुम जनसेवक कहलाते हो ?

शपथ लेते हो जनसेवा की,
विपरित, घोटाले करते हो।
अमूल्य ओट हमारा लेकर,
हम्हीं को नीतियों में ढा़लते हो।

भोली-भाली जनता को,
तुम सियासती, मूर्ख समझते हो?
ईमान-धर्म का नाता तोड़,
निज जनम कलंकित करते हो।

खूब लूटो खाओ देश को तुम,
धर्मशाला जिसे समझते हो,
लानत है ऐसी देशभक्ति पर,
क्यों न चुल्लू भर पानी में डुब मरते हो।।

दिला गए पुरखों ने आजादी,
तुम्हें तनिक शर्म नहीं आनी है।
क्यों लूटेगा कोई देश की संपदा ?
किसी के बाप की खानदानी है!

कितने कुर्बानियों से हमने,
आजादी को पाई है?
अफगानिस्तान,सीरिया,युक्रेन पर,
किसने तरस नहीं खाई है?

राकेश चौरसिया 01/03/22
9120639958

Language: Hindi
1 Like · 598 Views
Books from राकेश चौरसिया
View all

You may also like these posts

स्मरण रहे
स्मरण रहे
Nitin Kulkarni
भूल ना था
भूल ना था
भरत कुमार सोलंकी
*भारत माता को किया, किसने लहूलुहान (कुंडलिया)*
*भारत माता को किया, किसने लहूलुहान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
बुंदेली साहित्य- राना लिधौरी के दोहे
बुंदेली साहित्य- राना लिधौरी के दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मलाल
मलाल
अनिल "आदर्श"
कोई चाहे कितने भी,
कोई चाहे कितने भी,
नेताम आर सी
स्वागतम : नव-वर्ष
स्वागतम : नव-वर्ष
Dr. Kishan tandon kranti
क्षणिकाए - व्यंग्य
क्षणिकाए - व्यंग्य
Sandeep Pande
सत्य की खोज, कविता
सत्य की खोज, कविता
Mohan Pandey
गमों को हटा चल खुशियां मनाते हैं
गमों को हटा चल खुशियां मनाते हैं
Keshav kishor Kumar
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*कालरात्रि महाकाली
*कालरात्रि महाकाली"*
Shashi kala vyas
कल आंखों मे आशाओं का पानी लेकर सभी घर को लौटे है,
कल आंखों मे आशाओं का पानी लेकर सभी घर को लौटे है,
manjula chauhan
अपनी तुलना कभी किसी से मत करना क्योंकि हर फल का स्वाद अलग ही
अपनी तुलना कभी किसी से मत करना क्योंकि हर फल का स्वाद अलग ही
ललकार भारद्वाज
विरक्ती
विरक्ती
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
*शुभ दीपावली*
*शुभ दीपावली*
गुमनाम 'बाबा'
Universal
Universal
Shashi Mahajan
//जीवन आपका और मुकर्रर भी //
//जीवन आपका और मुकर्रर भी //
Koमल कुmari
लक्ष्मी
लक्ष्मी
Bodhisatva kastooriya
दिवाली पर कुछ रुबाइयाँ...
दिवाली पर कुछ रुबाइयाँ...
आर.एस. 'प्रीतम'
"मेरी जिम्मेदारी "
Pushpraj Anant
Sub- whatever happen happens for good
Sub- whatever happen happens for good
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"मतदाता"
Khajan Singh Nain
4311.💐 *पूर्णिका* 💐
4311.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
वक्त के इस भवंडर में
वक्त के इस भवंडर में
Harminder Kaur
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
छौर कर लिया
छौर कर लिया
Sonu sugandh
ग़ज़ल-हलाहल से भरे हैं ज़ाम मेरे
ग़ज़ल-हलाहल से भरे हैं ज़ाम मेरे
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
बड़ी अजब है जिंदगी,
बड़ी अजब है जिंदगी,
sushil sarna
Loading...