Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
17 Feb 2022 · 1 min read

“ मेरे घर को सजा देना ”

डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “

======================

हमेशा राह तकता हूँ कहीं से तुम चले आना !

खुशी के पल में आके मेरे घर को सजा देना !!

हमेशा राह तकता हूँ कहीं से तुम चले आना !

खुशी के पल में आके मेरे घर को सजा देना !!

जरा सी आहटें होती है तो ,

लगता है तुम ही आ गए !

महक उठती है धरती और ,

अम्बर पे यूँ बादल छा गए !!

जरा सी आहटें होती है तो ,

लगता है तुम ही आ गए !

महक उठती है धरती और ,

अम्बर पे यूँ बादल छा गए !!

दबे पाँवों से आकर के मेरी दुनियाँ बसा देना !

खुशी के पल में आके मेरे घर को सजा देना !!

हमेशा राह तकता हूँ कहीं से तुम चले आना !

खुशी के पल में आके मेरे घर को सजा देना !!

ना रातों में है मुझको चैन ,

ना सारा दिन ही सोता हूँ !

मेरा तुम हाल मत पूछो ,

मैं तुझे ही याद करता हूँ !!

ना रातों में है मुझको चैन ,

ना सारा दिन ही सोता हूँ !

मेरा तुम हाल मत पूछो ,

मैं तुझे ही याद करता हूँ !!

बहुत अब हो गयी दूरी इसे जल्दी मिटा देना !

खुशी के पल में आके मेरे घर को सजा देना !!

दबे पाँवों से आकर के मेरी दुनियाँ बसा देना !

खुशी के पल में आके मेरे घर को सजा देना !!

हमेशा राह तकता हूँ कहीं से तुम चले आना !

खुशी के पल में आके मेरे घर को सजा देना !!

======================

डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “

साउन्ड हेल्थ क्लिनिक

एस 0 पी 0 कॉलेज रोड

दुमका

झारखंड

भारत

17. 02. 2022.

Loading...