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1 Feb 2022 · 1 min read

ख़्वाबों की अर्थी

“ किसी के ख़्वाबों की अर्थी से
मांग सजा के अपनी ,
लाल चुनरिया ओढ़ के चल दी
साथ किसी के सजनी “

“ बहक उठेंगी सांसें तेरी
मेरे अश्क़ की रिमझिम में ,
मेरी तन्हा सिसकती रातें
है ग़ज़लों में ढलनी “

“ ग़मों से हो ख़ौफ़ज़दा
क्यों दिल की दीवारें ,
शम्मा किसी की यादों की
सुबह शाम है जलनी “

” चले गए वो तोड़ के कसमें
भूल गए वो इश्क़ की रस्मे ,
सूख रही जीवन नदिया अब
अश्क़ों से है भरनी ”

” टूटे ख्वाबों की जब कलियाँ
दर्द दिलों में भडकाएंगी ,
फिर बीते लम्हों की होगी
खुश्बू अहसासों में भरनी “

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