Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
10 Jan 2022 · 1 min read

अब बादल छटेंगे

बाधाएं तो आती रहती है
मंजिल पर पहुंचना कैसे छोड़ दें
माना मिले है हमें दर्द बहुत
लेकिन जीने की आस कैसे छोड़ दें।।

सूखे पतझड़ के बाद ही
आता है बसंत हरियाली लेकर
बदल जाएगा ये मौसम भी
कोशिश करें हम संकल्प लेकर।।

भाग जायेंगे सारे दर्द भी अगर
दर्द को भी दर्द देने की हिम्मत हो
कुछ भी मुश्किल नहीं अगर
सच को सच कहने की हिम्मत हो।।

जो चेहरे दिख रहे है उदास आज
कल उन पर भी मुस्कान होगी
अनजान भटक रहे जिन गलियों में आज
वहां कल तुम्हारी भी पहचान होगी।।

करते रहो कोशिश निरंतर
आज नहीं तो कल बादल छंटेंगे
एक दिन इन्हीं गलियों में
तुम्हारी सफलता के लड्डू बंटेंगे।।

मानों है इतना तय कि कभी
किसी की मेहनत बेकार नहीं जाती
बीत जाती है जब काली रात
फिर सुबह नई रोशनी लेकर है आती।।

सपने भी तभी होते हैं पूरे
अगर हम जी जान से कोशिश करें
जा सकता है वही तारों के करीब
जो नभ में उड़ने की कोशिश करे।।

Loading...