Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
30 Dec 2021 · 1 min read

अपना मन...???

अपनों से मिलते धोखों से
धीरे- धीरे टूट रहा है

अब तक सच जिसको समझा था
वो सब तो बस झूठ रहा है

हासिल जो भी हुआ था अब तक
वो सब पीछे छूट रहा है

औरों को खुश करते-करते,
अपना मन अब रूठ रहा है।

Loading...