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29 Dec 2021 · 1 min read

साल नये खुशियां लाओ

बड़ा रंगीन रहा ये- साल,
हर शै ने दिखाए कमाल।

जिंदगी से खुद हो रुबरू,
संभले – जब हुए बेहाल।

शामे गम वस्ल की रात,
मिले जो समझो निहाल।

गुलशन होते गये बियांबा,
पतझड़ रो-रो हुई निढाल।

साल नये खुशियां लाओ,
जनजीवन बने खुशहाल।

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर

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