Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
25 Dec 2021 · 1 min read

खिलने दो

ढलती हो भले ही उम्र
पर न मन को ढलने दो
कोशिशें हो गिराने की
हौसलें आसमां चढ़ने दो

हो जाए हाथपैर शिथिल
दमखम छोड़े साथ जब
तरोताजा कर महसूस
जिजीविषा मत मरने दो

पग आगे न बढे़ आपके
पर डट कर खड़े हो जाओ
नव उमंग का करके वर्धन
हर अभिलाषा सजने दो

झुक जाए पीठ हिले मुंडिया
इग्नोर करे अपने ही बच्चे
प्यार अपनापन दे उनको
मन बागवान से खिलने दो

Loading...