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8 Dec 2021 · 1 min read

अनजान शहरमें...

कैसे संभाले जीवन को….
आगंतुकों की रफतार बढ़ती गई…..अनजान शहरमें,
मेहनत ज्यादा और मज़दूरी कम होती कैसे संभाले जीवन को………!!
यहाँ महँगाई ज्यादा और आमदनी कम पड़ती गई…!!
कैसी विडंबना और वेदना यहाँ जिंदगी लाचार बनती गई…!!
मायूसी के माहौल में संघर्ष लोही रूपी पसीना बन गई….!!
दिन और रात कैसे गुज़रे आंखों मे नींद ही नहीं आए….!!
शायद…. अपनों के सपनों के आगे मेहनत कम पड गई…….

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