चिट्ठी है बेकार (पाँच दोहे)
चिट्ठी है बेकार (पाँच दोहे)
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(1)
लिखी हुई अब हाथ की, चिट्ठी है बेकार
टाइप करके जो लिखा, उसकी जय-जयकार
(2)
खुशबू हाथों की कहाँ, चिट्ठी बीती बात
व्हाट्सएप पर चल रहा, टाइप ही दिन-रात
(3)
लिखे हुए अक्षर कहें, किसकी कैसी चाल
टाइप में दिल का कहाँ, खुलता असली हाल
(4)
कागज पर अक्षर लिखे, बीते कितने साल
पूछो अपने आप से ,अब यह आज सवाल
(5)
टाइप करती उँगलियाँ, थके – थके – से नैन
व्हाट्सएप से छिन गया, तन का मन का चैन
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.) मो.9997615451