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15 Nov 2021 · 1 min read

कबीर, केवट, रोटी, चुनाव, घाव,

प्रदत्त शब्दों पर दोहे

कबीर
राग, द्वेष उर में लिए, आहत फिरै कबीर।
ढाई आखर प्रेम का, हरे जगत की पीर।।

केवट
केवट पाँव पखारता, चिंता नाव सताय।
रघुनंदन का नाम जप, भवसागर तर जाय।।

रोटी
पाप देख रोटी कहे , कैसा तू इंसान?
सत्यकर्म को भूलकर, बेच दिया ईमान।।

चुनाव
ये चुनाव का वक्त है, सबके मुँह में राम।
सोच-समझ मतदान दो, दुष्कर है यह काम।।

घाव
अपने बैरी बन गए , दे अंतस में घाव।
कुटिल भाव विष मन बसा ,भीतर रखें दुराव।।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)

Language: Hindi
497 Views
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
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