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12 Nov 2021 · 1 min read

कलतलक हम भी उनकी तारीफ़ मुंहजबानी करते थे

कलतलक हम भी उनकी तारीफ़ मुंहजबानी करते थे
जब तक वो दिल में मोहब्बत की बागवानी करते थे

आज हम जहां के गुलाम शहरी कहे जाने लगे हैं
एक दौर में हमारे पुरखे यहीं हुक्मरानी करते थे

हयात की हकीकत को छुपाना क्या बताना क्या
ज़िन्दगी के शुरुआती मरहले में हम चाय पानी करते थे

अब के बच्चों में बड़े होनी कि इतनी जल्दी है की रब्बा
तनह हम इनकी उम्र में थे तो नादानी करते थे

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