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12 Nov 2021 · 1 min read

दरिया के साथ कहीं समंदर नही जाता

दरिया के साथ कहीं समंदर नही जाता
आंखों के साथ चलकर मंजर नही जाता

हर इंसान में होता है मगर कम या ज्यादा
तमाम कोशिशों के बाद भी बंदर नही जाता

ख्वाबों ने बना दिया है दिवालिया मुझको
हर इंसान में रहता है सिकन्दर नही जाता

तमाम लोग बोलते हैं झूठ किस मक्कारी से
इसका सच मेरे हलक के अंदर नही जाता

आखिरत का खौफ़ नही है तनहा मुझको
रुह जाती है आसमान तक पंजर नही जाता

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