Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
4 Nov 2021 · 1 min read

जगत जननी माता

डॉ अरुण कुमार शास्त्री
एक अबोध बालक : अरुण अतृप्त

जगत जननी माता

नारी शक्ति की भंडार
जय हो जय हो तेरी नार
हम्मा रे हम्मा ।।
तू है दुर्गा तू ही भवानी
तू ही सब कष्टों से तारिणी
तेरी महिमा तेरी महिमा अपरम्पार
हम्मा रे हम्मा ।।
तेरे होते कौन आयेगा
क्या दुश्मन कोई जीत पायेगा
कोई करे न रार
तेरी महिमा तेरी महिमा अपरम्पार
हम्मा रे हम्मा ।।
हाँथ तुम्हारा सर पर माता
कोई हमें न हाँथ लगाता
दुशमन फिरता है घिघियाता
लांघ सके ना बाड़
हम्मा रे हम्मा ।।
नारी शक्ति की भंडार
जय हो जय हो तेरी नार
हम्मा रे हम्मा ।।
तू है दुर्गा तू ही भवानी
तू ही सब कष्टों से तारिणी
तेरी महिमा तेरी महिमा अपरम्पार
हम्मा रे हम्मा ।।
खाद्यानों का भंडारण रहता
अन्नदाताओं के मंगल होता
निस दिन तेरी जय जय कार
हम्मा रे हम्मा ।।
शिक्षित होते सभी वहां सब
रहती तेरी कृपा जहाँ तब
अन्न वस्त्र और रुपया पैसा
साथ में मिलता तेरा प्यार
हम्मा रे हम्मा ।।
नारी शक्ति की भंडार
जय हो जय हो तेरी नार
हम्मा रे हम्मा ।।
तू है दुर्गा तू ही भवानी
तू ही सब कष्टों से तारिणी
तेरी महिमा तेरी महिमा अपरम्पार
हम्मा रे हम्मा ।।

Loading...