Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jul 2021 · 1 min read

उकेरा जाए

क्यों न किस्मत की लकीरों को छेड़ा जाए।
बिगड़ी लकीरों को फिर से उकेरा जाए।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

Language: Hindi
Tag: शेर
276 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मैथिली
मैथिली
Acharya Rama Nand Mandal
किसी से कोई शिकायत नहीं
किसी से कोई शिकायत नहीं
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
खुद क्यों रोते हैं वो मुझको रुलाने वाले
खुद क्यों रोते हैं वो मुझको रुलाने वाले
VINOD CHAUHAN
👌👌👌
👌👌👌
*प्रणय प्रभात*
अमन-राष्ट्र
अमन-राष्ट्र
राजेश बन्छोर
शक्ति स्वरूपा
शक्ति स्वरूपा
Uttirna Dhar
पात कब तक झरेंगें
पात कब तक झरेंगें
Shweta Soni
लिवाज
लिवाज
उमेश बैरवा
वफ़ा और बेवफाई
वफ़ा और बेवफाई
हिमांशु Kulshrestha
मैं घमंडी नहीं हूँ
मैं घमंडी नहीं हूँ
Dr. Man Mohan Krishna
संवेदना बोलती आँखों से 🙏
संवेदना बोलती आँखों से 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
संस्कार
संस्कार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
8kbetkm.com đại lý ủy quyền năm 2025 của nhà cái 8kbet, chuy
8kbetkm.com đại lý ủy quyền năm 2025 của nhà cái 8kbet, chuy
8kbetkmcom
सिलवटें
सिलवटें
Vivek Pandey
"अमीर"
Dr. Kishan tandon kranti
ललक लालसा और लालच
ललक लालसा और लालच
Nitin Kulkarni
दुश्मनों की कमी नहीं जिंदगी में ...
दुश्मनों की कमी नहीं जिंदगी में ...
ओनिका सेतिया 'अनु '
अन्नदाता
अन्नदाता
Akash Yadav
विषय -'अनजान रिश्ते'
विषय -'अनजान रिश्ते'
Harminder Kaur
संसाधन का दोहन
संसाधन का दोहन
Buddha Prakash
पहली बार का मिलन
पहली बार का मिलन
SURYA PRAKASH SHARMA
इंसानियत
इंसानियत
Sunil Maheshwari
प्रेम छिपाये ना छिपे
प्रेम छिपाये ना छिपे
शेखर सिंह
अनेकों पंथ लोगों के, अनेकों धाम हैं सबके।
अनेकों पंथ लोगों के, अनेकों धाम हैं सबके।
जगदीश शर्मा सहज
आबाद मुझको तुम आज देखकर
आबाद मुझको तुम आज देखकर
gurudeenverma198
अब तो चरागों को भी मेरी फ़िक्र रहती है,
अब तो चरागों को भी मेरी फ़िक्र रहती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दोस्ती।
दोस्ती।
Priya princess panwar
2964.*पूर्णिका*
2964.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बुन्देली दोहा प्रतियोगिता -192 वीं शब्द - टिक्कड़
बुन्देली दोहा प्रतियोगिता -192 वीं शब्द - टिक्कड़
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सत्संग का वास्तविक अर्थ हैं, संसार में ऐसे व्यक्तियों अथवा स
सत्संग का वास्तविक अर्थ हैं, संसार में ऐसे व्यक्तियों अथवा स
ललकार भारद्वाज
Loading...