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3 Nov 2021 · 1 min read

मायूसियों का दौर

चारों तरफ़
वही प्यास है!
चारों तरफ़
वही भूख है!!
चारों तरफ़
वही दर्द है!
चारों तरफ़
वही दुःख है!!
आदमी जाए तो
अब जाए किधर!
कहीं कोई उम्मीद
नहीं आए नज़र!!
चारों तरफ़
वही मार है!
चारों तरफ़
वही लूट है!!
Shekhar Chandra Mitra

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