Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
2 Nov 2021 · 2 min read

अन्याय का प्रतिकार....

अन्याय का प्रतिकार….
???????

मैं अभी शांत हूॅं…
क्यों मैं शांत हूॅं…?
चारों तरफ़ हो रहे
अन्याय को ही देखकर
मैं अभी भी शांत हूॅं !!

ये कोई चुप्पी नहीं…
यह मेरा जवाब है !
नीति नियंताओं को
क्या इसका अहसास है ??

बचपन से हमेशा ही….
अन्याय मुझे सहन नहीं !
जब कभी देखता हूॅं इसे ,
अंतर्मन दुखित करता मुझे !!

पहले तो उसे रोकने का ,
भरसक प्रयास करता हूॅं !
और यदि असफल होता ,
तो खुद ही हट जाता हूॅं !!

पर वहाॅं पे ही रुककर ,
अन्याय झेलते रहने की ,
सहन शक्ति नहीं मुझमें !
मैं इसके सख़्त खिलाफ हूॅं !!

आज चारों ओर ही ,
जो कुछ भी घटनाएं….
सतत घटती जा रही !
उसकी ऊंची महल में से
आधा से भी ज़्यादा तो ,
गलत की नींव पर ही….
निरंतर खड़ी की जा रही !!

ये ग़लत सिलसिला अगर
कायम रहा लंबे वक्त तक !
तो एक दिन निश्चित रूप से
ये पूरा संसार ही गलत होगा !
अनैतिक आचार व्यवहार का ,
चारों ही तरफ़ बोलबाला होगा !!

ये दुनिया कहाॅं चली जाएगी ,
नहीं किसी को ये पता होगा !
अनिश्चितता का माहौल होगा !
चहुॅंओर ही अंधकार व्याप्त होगा !
किसी को कोई पूछनेवाला तक….
दूर-दूर तक नहीं मिल सकेगा !!

अब भी वक्त है संभल जाएं हम !
परस्पर विश्वास और भाईचारे से ,
निरंतर ही आगे बढ़ते जाएं हम !
जहाॅं कहीं अन्याय का हो बोलबाला ,
उसका प्रतिकार करते जाएं हम !!

मेहनत , ईमान , धर्म के संग-संग….
इक नया अजूबा संसार बनाएं हम !
अपने इर्द – गिर्द के वातावरण को
सच्चाई के हिसाब से सजाएं हम !
इक नवीन इतिहास रच जाएं हम !
इस जग में कुछ ख़ास कर जाएं हम !!

स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 02 नवंबर, 2021.
“”””””””””””””””””””””””””””””””
?????????

Loading...