कोई शिकवा नहीं उससे की मुझे छोड़ दिया।
कोई शिकवा नहीं उससे की मुझे छोड़ दिया।
उसने गर छोड़ दिया मुझको मैंने छोड़ दिया।
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यह जरूरी तो नहीं हर कोई मेरा ही रहे।
हो गया और किसी का तो मैंने छोड़ दिया।
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अब वह मिलता भी नहीं मुझसे कुछ कहता भी नही।
रस्मे उल्फत न निभा पाया मुझे छोड़ दिया।
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कितना मुश्किल था भुलाना मगर भुला ही दिया।
तूने चाहा तो बहुत था भले ही छोड़ दिया।
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उसका जी भर गया मुझसे तो उसे जाने दो।
सगीर उसकी थी मर्जी की उसने छोड़ दिया।
Dr SAGHEER AHMAD SIDDIQUI