रोला छंद
दि०१-०८-२०२१ मंच को नमन।
विधा-रोला
विषय-स्वतंत्र
मचा रहे हैं शोर,झूठ मिलकर सब नेता।
जो भी अधिक लुभाय,वही सुंदर अभिनेता।।
आते जभी चुनाव, दीखते घर-घर नेता।
जो जनता भरमाय,वही सुंदर अभिनेता।।
पुष्प गंध नहिं होत,निरर्थक है वह माला।
जो मन निर्मल होय,भला गोरे से काला।
मान बिना न सुहाय, लगे है अमृत हाला ।
मान यदि मिल जाय,अमिय है विष का प्याला।।
?अटल मुरादाबादी ?