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26 Oct 2021 · 1 min read

संत

मिलते अब संत कहाँ जग में।
उलझे सब दौलत की पग में।
मन में सबके मद लोभ भरा-
छल दंभ समाहित है रग में।

(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464

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