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26 Oct 2021 · 1 min read

तेरी नैनों में मैं मुस्कुराता मिलूं

प्यार के चर्चे हमारे हर तरफ चलने लगे हैं।
लोग बस इस बात से ही आजकल जलने लगे हैं।
गैर से शिकवा न था हर दर्द गम मंजूर था जी-
तीर अपनों ने चलाया बात यह खलने लगे हैं।

तीर अपनों का अपनों पे चलने लगे।
बैर सबके हृदय आज पलने लगे।
सांस लेना भी मुश्किल हुआ आजकल-
‘सूर्य’ रिश्ते सभी हाय! खलने‌ लगे।

‘सूर्य’ मुझसे दूर क्या रहने लगे।
नीर नैनों से सदा बहने लगे।
कर रही देखो बगावत सांस भी-
गैर मुझको आजकल कहने लगे।

दूर तुम जबसे प्रिये रहने लगे।
नीर नैनों से सदा बहने लगे।
सांस धड़कन सब यहां खामोश हैं-
दर्द अब चुपचाप हम सहने लगे।

ख्वाब में भी तेरे गीत गाता मिलूं।
तेरी जुल्फों में उँगली फंँसाता मिलूं।
याद आए कभी आईना देखना।
तेरी नैनों में मैं मुस्कुराता मिलूं।

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