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25 Oct 2021 · 1 min read

Nचाँद हमारा रहे छिपाये

तुम कितने निर्मोही बादल
चाँद हमारा रहे छिपाये
लगता तुमको खुशी हमारी
जरा नहीं है मन को भाये

रही तुम्हारी क्या मजबूरी
हमने सही चाँद से दूरी
देख रहे थे भूखे प्यासे
हम तो नभ पर नज़र टिकाये
चाँद हमारा रहे छिपाये

वैसे तो तुम सोये रहते
तरसाते हो नहीं बरसते
एक बात ये भी बतलाओ
क्यों कल काले घन बरसाये
चाँद हमारा रहे छिपाये

सोच रहे हैं अब ये भी हम
कृपा तुम्हारी पाई क्यों कम
क्या कुछ भूल हुई थी हमसे
जो तुम गुस्सा बनकर छाये
चाँद हमारा रहे छिपाये

दया एक हम सब पर करना
नज़र धरा पर अपनी रखना
अगले बरस न ये करना जब
करवाचौथ हमारी आये
चाँद हमारा रहे छिपाये

25-10-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

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