एक अनजाना सा खौफ ...
कहीं ऐसा न हो जाए ,कहीं वैसा ना हो जाए ,
हर पल मन में एक ही अंजाना सा डर घेर जाए ।
सुबह शाम दुआ करूं,मन्नतें मांगू मैं भगवान से ,
कहीं हमारी जीवन बगिया सुनी न हो जाए ।
अपने प्यारों का खोने का खौफ कल्पना मात्र से ही ,
रातों की नींद और दिन का चैन खराब कर जाए ।
खबरें देख सुन कर कभी समाचार पत्रों और टीवी पर ,
नित्य प्रति हो रहे हादसों से दिल सहम सहम जाए ।
अब ऐसा तो।नामुमकिन है किसी को फर्ज से रोकूं,
उन्हें अपनी जीवन चर्या हेतु भला कैसे रोका जाए।
शुक्र करती और राहत की सांस लेती हूं हर पल ,
जैसे आज का दिन अच्छा गुजरा कल भी ऐसा ही जाए
ऐसा नहीं की मुझे अपने ईश्वर पर भरोसा न हो ,
मगर क्या करूं जब नकारात्मकता हावी हो जाए ।
इस करोना का हुआ दिल और दिमाग पर ऐसा असर ,
जैसे कोई बला चले जाने पर भी निशान छोड़ जाए ।
करोना ने तो पांव अभी पीछे भी न खींचे पूरी तरह से,
और अब डेंगू रूप दानव हर समय मुझको डराए।
क्या होगा ,क्या नहीं होगा मुझे कुछ नहीं मालूम ,
दुआ करती हूं हम सभी इंसानों को खुदा बचाए ।