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16 Oct 2021 · 1 min read

एक अनजाना सा खौफ ...

कहीं ऐसा न हो जाए ,कहीं वैसा ना हो जाए ,
हर पल मन में एक ही अंजाना सा डर घेर जाए ।

सुबह शाम दुआ करूं,मन्नतें मांगू मैं भगवान से ,
कहीं हमारी जीवन बगिया सुनी न हो जाए ।

अपने प्यारों का खोने का खौफ कल्पना मात्र से ही ,
रातों की नींद और दिन का चैन खराब कर जाए ।

खबरें देख सुन कर कभी समाचार पत्रों और टीवी पर ,
नित्य प्रति हो रहे हादसों से दिल सहम सहम जाए ।

अब ऐसा तो।नामुमकिन है किसी को फर्ज से रोकूं,
उन्हें अपनी जीवन चर्या हेतु भला कैसे रोका जाए।

शुक्र करती और राहत की सांस लेती हूं हर पल ,
जैसे आज का दिन अच्छा गुजरा कल भी ऐसा ही जाए

ऐसा नहीं की मुझे अपने ईश्वर पर भरोसा न हो ,
मगर क्या करूं जब नकारात्मकता हावी हो जाए ।

इस करोना का हुआ दिल और दिमाग पर ऐसा असर ,
जैसे कोई बला चले जाने पर भी निशान छोड़ जाए ।

करोना ने तो पांव अभी पीछे भी न खींचे पूरी तरह से,
और अब डेंगू रूप दानव हर समय मुझको डराए।

क्या होगा ,क्या नहीं होगा मुझे कुछ नहीं मालूम ,
दुआ करती हूं हम सभी इंसानों को खुदा बचाए ।

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