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16 Jul 2023 · 1 min read

प्रथम गुरु

प्रथम गुरु

प्रथम गुरु है मातु पिता
रेंगन बोलन सिखलाये हैं
निज हाथों में शर पकड़
जो अपना दुध पिलायें हैं

जानता था कौन तुम्हें यहां
अगर मातु पिता न होते
इस धरा पर लाने को गर
बीज रोपण यदि न करते

यदि प्रथम पुज्य है जग में
मां गौरी पुत्र गणेश
मातृ पितृ भक्ति का जग में
दिया सार मंत्र संदेश

सगुण साकार है मातु पिता
निर्गुण ब्रह्म विचार
पंच प्रकृति पंच परमेश्वर
पवन देव हैं नित साथ

कवि हृदय की सोच है
पंच प्रकृति भगवान
निर्गुण ब्रह्म पवन देव का
नित चरणन धरूं मैं ध्यान

डां विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग

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