करवाचौथ आई है (गीतिका)
करवाचौथ आई है (गीतिका)
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(1)
चलो फिर चाँद को देखें कि करवाचौथ आई है
महकती चाँदनी फिर खुशनुमा एहसास लाई है
(2)
निहारें चाँदनी में एक दूजे को प्रिये हम तुम
हमारे प्यार की देता ये चंदा भी गवाही है
(3)
ये मीठी चाँदनी जैसे बरसती आसमानों से
हवा को भी अगर देखो तो खुशबू में नहाई है
(4)
कभी आती अमावस है कभी पूनम बरसती है
किसी ने लग रहा दुनिया ये ऐसी ही बनाई है
(5)
हमारी जिन्दगी में भी हमेशा चाँदनी देना
हमारी तुमसे ऐ चंदा ! यही केवल दुहाई है
(6)
हजारों साल से हम-तुम बँधे हैं प्रेम-बंधन में
कि करवाचौथ हमने हर बरस मिलकर मनाई है
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451