दलित मज़दूर
हम भी तो भारत के बेटे हैं!
आख़िर तुमसे क्या लेते हैं!!
रूखी-सूखी रोटी के बदले
तुम्हें ख़ून-पसीना देते हैं!!
तुम्हारी चमक-दमक से दूर
बजबजाती हुई गलियों की
झुग्गी-झोपड़ियों में अपनी
हम पूरी दुनिया समेटे हैं!!
Shekhar Chandra Mitra
#प्रवासीमजदूर
#बहुजनआंदोलन