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6 Oct 2021 · 1 min read

मेरे शब्द व कलम

सूंघते रहते है शब्द मेरे,समय की सुगंध को।
परखते रहते है शब्द मेरे,हवा की भी मंद को,
कलम चलती रहती है मेरी इनके हिसाब से,
बदल देते हैं मेरे शब्द इनकी सुगंध व मंद को।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

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