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5 Oct 2021 · 1 min read

हक़ीक़त

ज़माने का दस्तूर है ,जीते जी इंसाँ की क़ीमत पहचान ना पाए ,
उसके जाने के बाद , उसकी यादों पर कसीदे पढ़े आंसू बहाए ,
सच ही कहा है , किसी को खोने के बाद उसकी अहमियत समझ आती है ,
इंसां की हक़ीक़त नज़रअंदाज़ करने की अना नश्तर बनकर उसे जिंदगी भर सालती है ,

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