मां शारदे को समर्पित
मंच को नमन!
काव्य करूॅ प्रारंभ मां, लेकर तेरा नाम।
शब्द-शब्द में तुम बसो,भजूॅ सदा अविराम।।(१)
छंद ज्ञान कुछ है नहीं, मूढ़ मति अज्ञान।
कुछ अनुपम मैं भी लिखूॅ,दे दो मां वरदान।।(२)
शब्द-शब्द में मां भरो,कुछ अनुपम संगीत।
मैं भी कुछ ऐसा रचूॅ,बदल जाय जग रीत।।(३)
छंद गंध बनकर बहे,मेरा हर इक बोल।
धुॅधला है मन का पटल,ज्ञान चक्षु दे खोल।।(४)