Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
26 Aug 2021 · 1 min read

पुराने गलियारे

सुनो ज़रा कुछ वक़्त निकालना आज
कुछ पुरानी यादें ताज़ा करने निकलते हैं …
चलो चलते हैं कॉलेज के उन ही गलियारों में
जहाँ वो कॉलेज की बड़ी बड़ी बिल्डिंग और बड़े बड़े क्लासरूम देख के हम अचंभित हो जाते थे
जहाँ पहला साल सीनियर्स की रैगिंग के बीच निकला था
फिर अगले साल हम भी तीसमारखाँ हो गए थे ,

वो किस्सा तो याद ही होगा जब बिना किसी डर के
केमिस्ट्री लैब में हम सारे सोलूशन्स मिला के देखते थे की क्या कलर आएगा,
जब कोई नया प्रोफेसर आता था तो हम कहा करते थे
की आ गया नया बकरा ….आने दो क्लास लेने ,

मैथ वाली क्लास में होड़ लगी रहती थी की
कौन सबसे पीछे बैठेगा ,
अक्सर लेट होने पर वो चोरी से नज़र बचा के क्लास में घुस जाना,
वो टेस्ट के नाम पे नानी जी का याद आना
रोज़ मनाना की आज फलां क्लास न हो तो आज फलां वाली न हो ,

फिर एग्जाम आने पर वो एक रात्रि वाली पढाई कर
सुबह चालीसा पढ़ते हुए एग्जाम देने जाना ,
किसी क्वेश्चन का जवाब न आते हुए भी
इस कॉन्फिडेंस से लिखते जाना
मानों हम ही सबसे बड़े शेर हैं ….,

आज ये नौकरी ….परिवार की भागम भाग में वो दिन कहीं छूट गए
चलो आज वक़्त निकाल उन्ही पुरानी गलियों में चलते हैं |

द्वारा – नेहा ‘आज़ाद’

Loading...