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11 Aug 2021 · 1 min read

फिरे ठाली

घर बसाया, है सज़ाने दीजिये
चहचहाने, खिलखिलाने दीजिये

हाथ हैं खाली फिरे ठाली यहाँ
जिन्दगी को आजमाने दीजिये

ये खुशी का शोर काटे है मुझे
चैन से कुछ पल बिताने दीजिये

याद हम करते खबर उनको मिले
काश! दिल की सुनके आने दीजिये
शीला गहलावत सीरत

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