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24 Sep 2021 · 2 min read

सप्ताहांत तक सात दिन सात सुख,दु:ख

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सप्ताह का प्रथम दिन
उत्सव सा महकता है।
बिस्तर से उतरते हुए,
देहरी से उतर रास्ते पर आते हुए
मन शांत और मष्तिष्क निश्चिन्त।
चुनौतियों से भिड़ने,देह प्रस्तुत।
दोस्त सा सारा कुछ,जिंदगी भी।
साँझ देह पर लिपटता।
इसे थोड़ा शिथिल करता।
अनचाहे क्षणों को करने दरकिनार
निहोरा करता मन को।
हौसला रोपता हुआ
सो जाता है।
दूसरा दिन उत्साह से सराबोर।
अर्द्धविराम हटाता हुआ।
भुजाओं को कर्म में प्रवृत करता है।
जल्दी होती है निद्रा को विदा करने की।
मनाते-पटाते,देते आश्वासन कि
पूर्णता पर कार्य के,
समुचित देगा समय उसे।
निरीह निद्रा,डांट खाने के
डर से लेता है मान
हर प्रस्ताव।
तीसरा दिन
है मानसिक उथल-पुथल का होता।
अनिश्चय से आत्मविश्वास
तालमेल बैठाने की
है कोशिश करता।
हर पल अत्यंत एकाग्रता से
चुनौती के एक-एक पड़ाव को करते हैं पूर्ण।
ध्यान रखते हैं कि कोई प्रयास न हो चूर्ण।
और
लौटते हुए आवास,अतिरिक्त होते हैं खुश।
आज का दिन सफल।
जिसने हौसला बढ़ाया उस संगिनी को
श्रेय देने में क्यों होता कंजूस।
एक सुन्दर वायदा और
अंजाम के शत-प्रतिशत का आश्वासन।
देते हुए देख-देख
मैं अति प्रसन्न।

अगला दिन बहुत स्फूर्त और स्वच्छ।
निद्रा के साथ वफा किए जाने से
तन और मन दोनों निर्द्वंद।
नयापन सा
साहस,विश्वास,बीड़ा उठाने का संकल्प।
गति चतुर्दिक सम
फूटते रहे ओठों से गीत-गाने हरदम।
फिर से दुहराया हमने एक और सफल दिन।

सप्ताह का पाँचवाँ दिन।
दिन बेवजह ही लगा था थकने।
शारीरिक और मानसिक एकाग्रता खोने।
एक ठहराव की जरूरत महसूसने।
किन्तु,जीवन फर्ज नहीं।
हमारे लिए कर्ज सा करता था व्यवहार।
आर्थिक जिम्मेवारियाँ देह या मन को
छोड़ती नहीं।
सबों को देती है तोड़,
सिर्फ
आपको ही तोड़ती नहीं।
विकल्प धनाढ्यो का औजार है।
हमारे पास मात्र कारोबार है।
इस कारोबार को निभाते हुए
बीत गया यह दिन।
न रो पाये न सिसक कोई पल,छिन।

छठे दिन की शुरुआत पर
उदास था मन
अवसाद में हृदय।
उपलब्धि की परिभाषा समझ से परे।
समय ने मिलकर उम्र के साथ
ठेल दिया था जैसा करता आया है
अंत की ओर।
खालीपन दिन का कोई घटनाक्रम
जैसा ही बीता।
रात में हल्दी,कुंकुम,पंचगंध से
सजी थाली थी।
आदमी दौड़ता,भागता रास्ता खोजता।
क्या वह मैं था?
नींद ईश्वर के विचारों से खुली।
अच्छा लगा।

सप्ताह का अंतिम दिन गृहस्थ था।
पत्नी के साथ बाजार में।
बच्चों की बाल-सुलभ जिज्ञासाओं में
हम सुकून खोजते बिता लिया।
लौटकर एक लंबा सा उच्छ्वास
और गरम सी प्याली।
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