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10 Aug 2021 · 1 min read

पिता

वो एक सख्स जो खुदा नज़र आता है,
अपनी ज़िंदगी से बेखबर नज़र आता है।
जीता है वो बस अपने बच्चों लिए,
परिवार के फूलों का गुलज़ार नज़र आता है।
बसते हैं जिनकी आँखों में बच्चों के सपने हरदम,
उनकी ख्वाहिशों को पूरा करने का उसमें
हौंसला नज़र आता है।
न थकते हैं कभी,न नाराज होते हैं कभी,
उनकी आँखों में बस हमेशा प्यार नज़र आता है।
हमेशा रहती हैं घर में खुशियां जिसके दम से,
वो मेरे पिता हैं जिनमें ,मुझे परमेश्वर नज़र आता है।

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