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30 Jul 2021 · 1 min read

उकेरा जाए

क्यों न किस्मत की लकीरों को छेड़ा जाए।
बिगड़ी लकीरों को फिर से उकेरा जाए।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

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