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27 Jul 2021 · 1 min read

सपनों के पंख

इरादा ठान लिया है मुसाफिर,
तो डगर की परवाह न कर,
सड़क जाती हो या न,
उन मंजिलों तक पहुंँच कर दिखा,
जहांँ छुपे हुए हैं तेरे सपने,
संघर्ष कर उनको पाकर तो दिखा,
तेरा कद नहीं है छोटा,
हौंसला है तुझमें बड़ा,
पर हारने की बात न कर,
एक बार तो सपनों के पंख फैला ।…….(१)

हताश मत हो मुसाफिर,
अपने ज़ज्बात को अपने इरादे तो बता,
भर देंगे तुझमें हिम्मत इतनी,
हृदय तो अपना मजबूत बना,
उड़ चल अब बैठ न साहिल में,
रास्ते रहेंगे यही रुके हुए,
सपनों को न रुकने देना,
चाहे अपनी सड़क तू खुद बना,
पर हारने की बात न कर,
एक बार तो सपनों के पंख फैला।……..(२)

कमर कस ले हे मुसाफिर! ,
उड़ान अब करना है बाकी,
जीतने की तेरी यही है एक बाजी,
फड़फड़ा ले इन पंखों को,
खुला हुआ है आसमां,
बुन ले अब सपनों को,
जिस्म में प्राण जब तक है बाकी,
थकना नहीं है सपने बुनते ही जाना है,
पर हारने में की बात न कर,
एक बार तो सपनों के पंख फैला।………(३)
??
#बुद्ध प्रकाश,
#मौदहा हमीरपुर (उ०प्र०)

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