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25 Jul 2021 · 1 min read

बंदिशों में रहकर ही

बंदिशों में रहकर ही

बंदिशों में रहकर ही , संवरता है जीवन

बंदिशों के आँचल तले , निखरता है जीवन |

जो चंचल हो भटकता है , वो बिखरता है जीवन

संस्कारों में बंध कर ही , संवरता है जीवन |

क्यूं कर बिखर जाएँ, आस के मोती

बन्धनों में रहकर ही , निखरता है जीवन |

बंदिशें जो आत्ममंथन की राह मजबूत करें

बंदिशें जो न हों , तो तड़पता है जीवन |

बंदिशें जो ख्वाहिशों के समंदर में पतवार बन उतरें

बंदिशें जो दर्द में मरहम हो जाएँ , संवर जाए जीवन |

बंदिशें जो खुद से खुद का परिचय कराएं

बंदिशें जो खुद से खुद का परिचय करा , कर दें रोशन |

बंदिशें जो कदम दर कदम उन्नति की राह निखारें

बंदिशें जो जीवन में सफ़लता का एहसास कराएं |

बंदिशों में रहकर ही , संवरता है जीवन

बंदिशों के आँचल तले , निखरता है जीवन |

जो चंचल हो भटकता है , वो बिखरता है जीवन

संस्कारों में बंध कर ही , संवरता है जीवन | |

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