Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jul 2021 · 2 min read

सोशल मीडिया की ताकत

‘दरोगा जी! मैं सदैव आपकी सेवा में तत्पर हूँ बस आप मेरा काम करवा दीजिए।’
दो हजार के नोटों की गड्डी दरोगा के हाथ में देते हुए सेठ धनराज बोला।
‘ठीक है सेठ जी आप निश्चन्त होकर अपने मकान की छत डलवाओ, लेकिन ध्यान रहे यह काम अति शीघ्र हो जाना चाहिए। बुढ़िया आएगी तो उसे डाट-डपट कर भगा दूँगा। छत पड़ जाने के बाद कोई कुछ नहीं कर पायेगा।’
‘ठीक है सर! आप जो आदेश करेंगे मैं उसका पालन अवश्य करूँगा, बस कृपा दृष्टि बनाये रखियेगा।’
‘ठीक है अब जाओ।’
सेठ झुककर सलाम करने के बाद वहाँ से चल दिया। लगभग चार पाँच धंटे बाद एक बूढ़ी औरत रोते हुए थाने में दाखिल हुई।
‘दरोगा जी! दरोगा जी! सेठ मकान की छत डलवा रहा है। आपने तो कहा था…वह ऐसा.. नहीं कर पायेगा। उसे रोक लीजिए…! मैं आपके पाँव पड़ती हूँ…!
‘मैं कुछ नहीं कर सकता! उसकी पहुँच ऊपर तक है। जिस तरह तुम्हें तुम्हारी जमीन प्यारी है, उसी तरह मुझे मेरी नौकरी। मुझे माफ़ कर दो बुढ़िया, मैं कुछ नहीं कर सकता।’
‘आपका ही तो बस भरोसा था और आप भी बिक गए! हे भगवान! अब मैं कहाँ जाऊँ! नीचे से ऊपर तक सब के सब बिके हुए हैं…हाय मैं क्या करूँ…हाय मैं क्या करूँ! सब डकैत बैठे हैं यहाँ पर…!’
‘ऐ! बाहर करो इसे, तबसे बक बक किये जा रही है।’
कुछ सिपाही बुढ़िया को थाने से बाहर ले कर चले गए। थाने का एक ईमानदार सिपाही यह सब देखकर बहुत दुखी हो गया। उसे एक पुरानी घटना याद आई जब इसी दरोगा ने फल चुराने के जुर्म में एक बच्चे को बहुत बेरहमी से पीटा था। सिपाही सोचने लगा- ‘एक बच्चे ने अपनी भूख मिटाने के लिए चंद रुपये के फल क्या उठा लिए लोगों ने उसे स्वयं तो पीटा ही दरोगा से भी पिटवाया। वहीं यह लूटेरा वर्दीधारी रोज लोगों को लूटता है लेकिन कोई विरोध तक नहीं करता, विरोध तो दूर उल्टे सब इसके आगे नतमस्तक होते हैं।… यह नौकरी तो लोगों की रक्षा के लिए है पर यदि रक्षक ही भक्षक बन जाय तो क्या होगा। इसकी शिकायत करने से भी कोई फायदा नहीं, क्योंकि रिश्वत लेने वाले रिश्वत देकर छूट जाते हैं। हाँ एक काम मैं अवश्य कर सकता हूँ…, इसके खिलाफ मेरे पास जो वीडियोज हैं उन्हें सोशल मीडिया पर डाल देता हूँ।’
दरोगा के काले कारनामों के अनेक वीडियो सिपाही द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया गया। सुबह प्रिंट मीडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक दरोगा के गुनाहों की दास्तान चीख चीख कर बयान कर रहे थे।
लाख शिकायतों के बाद भी जो प्रशासन दरोगा के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर रहा था। वही प्रशासन मीडिया और जनता के दबाव के आगे मजबूर हो गया। जल्दी ही भ्रष्ट दरोगा को जेल हो गयी और ईमानदार सिपाही का प्रमोशन।

-आकाश महेशपुरी

(साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता)

3 Likes · 2 Comments · 592 Views

You may also like these posts

आज़ाद पैदा हुआ आज़ाद था और आज भी आजाद है।मौत के घाट उतार कर
आज़ाद पैदा हुआ आज़ाद था और आज भी आजाद है।मौत के घाट उतार कर
Rj Anand Prajapati
किसी अनमोल वस्तु का कोई तो मोल समझेगा
किसी अनमोल वस्तु का कोई तो मोल समझेगा
डॉ. दीपक बवेजा
*लफ्ज*
*लफ्ज*
Kumar Vikrant
बॉर्डर पर जवान खड़ा है।
बॉर्डर पर जवान खड़ा है।
Kuldeep mishra (KD)
मुक्तक
मुक्तक
अवध किशोर 'अवधू'
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
Filled with gratitude
Filled with gratitude
Poonam Sharma
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
गुमनाम 'बाबा'
कितने बार भी दिल टूटे लेकिन लगाना नहीं छोड़ना चाहिए। कितनी ब
कितने बार भी दिल टूटे लेकिन लगाना नहीं छोड़ना चाहिए। कितनी ब
पूर्वार्थ
नित  हर्ष  रहे   उत्कर्ष  रहे,   कर  कंचनमय  थाल  रहे ।
नित हर्ष रहे उत्कर्ष रहे, कर कंचनमय थाल रहे ।
Ashok deep
सुन्दर प्रियतमा के साथ
सुन्दर प्रियतमा के साथ
अमित कुमार
परिंदा हूं आसमां का
परिंदा हूं आसमां का
Praveen Sain
जब भी दिल का
जब भी दिल का
Neelam Sharma
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
इश्क अमीरों का!
इश्क अमीरों का!
Sanjay ' शून्य'
रोज रात जिन्दगी
रोज रात जिन्दगी
Ragini Kumari
हम क्रान्ति तो ला चुके हैं कई बार
हम क्रान्ति तो ला चुके हैं कई बार
gurudeenverma198
न दिल किसी का दुखाना चाहिए
न दिल किसी का दुखाना चाहिए
नूरफातिमा खातून नूरी
"राह अनेक, पै मँजिल एक"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
#भारतीय संस्कृति से गंगा गाय और गायत्री की नालबद्धता
#भारतीय संस्कृति से गंगा गाय और गायत्री की नालबद्धता
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
दो
दो
*प्रणय*
"" *सौगात* ""
सुनीलानंद महंत
गीत _ इतना तो बतलाओ तुम !
गीत _ इतना तो बतलाओ तुम !
Neelofar Khan
"पत्नी और माशूका"
Dr. Kishan tandon kranti
ऊर्मि
ऊर्मि
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
गैरों से जायदा इंसान ,
गैरों से जायदा इंसान ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
सुंदरता के मायने
सुंदरता के मायने
Surya Barman
रास्ते और राह ही तो होते है
रास्ते और राह ही तो होते है
Neeraj Agarwal
हार नहीं जाना
हार नहीं जाना
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀 *वार्णिक छंद।*
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀 *वार्णिक छंद।*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Loading...