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4 Jul 2021 · 1 min read

कुंडलिया छंद

कुंडलिया छंद…

पावन हो गर भावना, दिखे सभी सुचि रूप ।
यद्यपि मिलते हैं बहुत, होते हीन कुरूप ।।
होते हीन कुरूप, हमेशा मिलता ताना ।
इनका भाग्य खराब, खोजते दर-दर खाना ।।
सज्जन कहता नाथ, सभी घर बरसे सावन ।
मैल हृदय से दूर, सभी का मन हो पावन ।।

डाॅ. राजेन्द्र सिंह राही.

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