दोहे-भ्रष्टाचार
तीन दोहे-“भ्रष्टाचार”
राना दोहावली-(21-22-23)
नहीं गरीबों पे दया,
करे न तनिक विचार।
लाज नहीं आती उन्हें,
करते भ्रष्टाचार।।
***
भ्रष्टाचार बढ़ा रहा,
कोरोना आजाब।
बढ़ती कीमत में वही,
बिकता माल खराब।।
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नेताओं की ओर से,
होता भ्रष्टाचार।
अधिकारी भी मानते,
इसको शिष्टाचार।।
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© राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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