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8 Jun 2021 · 1 min read

मैं जब से उसके पहलू में आ बैठा।

मैं जब से उसके पहलू में आ बैठा,
दुनिया के सारे गम भुला बैठा,
वह तमन्ना लिए बैठे रहे,हमें गमगीन करने की,
मेरी थोड़ी सी हरकत से वो भी मुस्कुरा बैठा।।

रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
सं०- 9534148597

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