गीतिका
गीतिका
चयनित छंद-शुद्ध गीता (मापनी युक्त)
*मापनी-2122 2122 2122 2121
ज़िन्दगी ऐसे बदलती है कहानी सा विचार
जब हुआ ये सामने तो ये रूहानी सा निहार.
आज फिर देखे यकी मेरे बनी हंसी यार की
ख़ुश्क दरिया में बहेगा धार पानी सा गुबार.
मुश्किलों में भी दिखी सब हो रही हैं नेकियां
आदतों में सिर्फ नियमों की जुबानी ले सुधार.
मत कुरेदो ज़ख्म को फिर से हरे हो जाएंगे
टीस दिल मे फिर से उठती कुछ पुरानी सोच पार
रीस में होकर नहीं मिलता निशानी सा खुमार
क्यूं अचानक घिर गई आंखों में बदली याद खास
दिल तड़प कर रो पड़ा बरसा गिरा पानी में गुज़ार
मानते आमद बदौलत ही नया सा साल वार
मौसमें गुल यही दृश्य लगा जाफरानी सा तैयार.
रेखा मोहन ६/६/२१ पंजाब