Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
24 May 2021 · 1 min read

एक गजल बरसात पर

एक गजल बरसात पर
*****************
कल रात उनसे ख्वाब में बात हो गई,
जिस बात का डर था वहीं बात हो गई।

घटाएं घिरी और बिजली चमकने लगी,
अंधेरा छाया और दिन में रात हो गई।

पास रहकर भी कभी उनसे गले न मिले,
गले मिले तो अश्कों की बरसात हो गई।

करवटें बदलते रहे सारी रात सोचते रहे,
सोचते ही सोचते यूंही सारी रात हो गई।

तड़फ़ रहे थे हम उनकी एक नजर के लिए,
उसने नजरे मिलाई और मुलाकात हो गई।

मुझे दुनिया वालो से अब क्या लेना देना,
मैंने छोड़ी सारी दुनिया तेरे साथ हो गई।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Loading...