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12 May 2021 · 1 min read

आज़ाद गज़ल

खुदा महफ़ूज रक्खें मेरी गजलें पढ़ने वालों को
देते हैं दाद मुझे जो भूल कर अपने जंजालो को ।
करके नज़रंदाज़ मेरे गजलों की सब खामियों को
तारीफ वो करतें है सिर्फ उठाए गए सवालों को ।
कैसे चुका पाऊंगा भला मैं इन के एहसानों को
इश्वर स्वस्थओसुरक्षित रक्खें इन दिलवालों को ।
दिल चीर कर मैं दिखा तो नहीं सकता हूँ ,मगर
दुआओं मे याद करता हूँ मैं मेरे चाहनेवालों को।
अब क्या मनवा कर ही दम लोगे अजय हम से
भूले नही हो लाइक ओ कमेंट करनेवालों को ।
-अजय प्रसाद

4 Likes · 4 Comments · 554 Views

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