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3 May 2021 · 1 min read

एक सुहाना सफर

222 212 212
काफिया-ना रदीफ़-सफर

*** एक सुहाना सफर ***
*********************
जीवन प्यारा सुहाना सफर,
दीवाना सा मस्ताना सफर।

कटती ही ना अकेले कभी,
साथी बिन हो विराना सफर।

चलने से राह आसान हो,
थम जाए ना मुहाना सफर।

मिलती रहती सदा ठोकरें,
धूमिल होता जुहाना सफर।

यारों से गर डगर हो भरी
बन जाता है ठिकाना सफर।

पथ पर कोई नहीं कष्ट हो,
नजरों का हो निशाना सफर।

मनसीरत गर अकेला रहे,
बन जाती राह थाना सफर।
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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