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12 Apr 2021 · 1 min read

फौजी मेरे देश के

******** फौजी मेरे देश के *******
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सीमा पर खड़े फौजी मुस्कराते हैं,
हँसते हुए वतन पर मर मिट जाते हैं।

जान की बाजी खेलते हैं सरहदों पर,
गम को पीकर खुशी के नगमें गाते हैं।

जंग में दुश्मनों के दाँत खट्टे कर देते,
दुश्मनों के घर में झण्डा फहराते हैं।

वतन की फिक्र में फिक्र घर का भूलते,
देश की खातिर सैनिक शहादत पाते हैं।

पग पग पर पर्वतों से खतरों से जूझते,
रक्षा करते जन के पग न डगमगाते हैं।

निज खुशियों को सदैव रहते हैं वारते,
चूम कर धरती माँ को शत्रु नचाते हैं।

लिख चिट्ठियों में हाल रहते हैं पूछते,
कैसे बीबी ,बाल-बच्चें पता लगाते हैं।

पत्नी बैठी दहलीज पर राह ताकती,
ताबूत में आ दर पर दर्शन दे जाते है।

बूढ़े माँ बाप की आँखें बूढ़ी हो जाती,
खबर सुन शहीदी की मौन हो जाते हैं।

मनसीरत शहीदों के सदा मेले भरते
जन गण की सदा श्रद्धांजलि पाते हैं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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